AKSHAR
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धन न चाहूँ
उपहार न मांगू
न चाहूँ सोने
का हार भैया .
इस रक्षा बंधन दे दो
मुझको वचन चार भैया .
पहला वचन दो भैया
सब महिलाओं का मान करोगे
माँ, बहन, बेटी के जैसा
उनका तुम सम्मान करोगे.
दूजा वचन है अनमोल
गर्भस्थ बेटी के
न हरना प्राण
फूले, फले, खिले बिटिया
इसका तुम धरना ध्यान.
तीजा वचन है ख़ास
दहेज़ का तुम
नाम न लोगे
प्रेम प्यार के रिश्ते का
तुम न कभीं व्यापार करोगे.
चौथा वचन सुनो भैया
मात पिता का करना मान
उनका नहीं अब बारी अपनी
रखना उनका सबको ध्यान.
ये चारों वचन
राखी का उपहार है भैया
इस उपहार को लेकर मैं
बांधूं राखी के तार भैया.
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